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५७८ · पूजा-संग्रह। लम जिनवर जग सह मोहै॥ जय० ॥३॥ मंगल आरती भोरे कीज, जनम २ को लाहो लीज ॥ जय० ॥ ४॥ कर जोड़ी सेवक गुण गावै, सो नर नारी अमर पद पावै ॥ जय० ॥ ॥ ५॥ इति ॥
अथ नवपद-पूजा ।
अथ प्रथम अरिहंतपद-पूजा ॥ ॥ दूहा ॥ परम मंत्र प्रणमी करी, तास धरी उर ध्यान ॥ अरिहंतपद पूजा करो, निज २ शक्ति प्रमाण ॥१॥ काव्य। उप्पन्न सन्नाण महोमयाणं, सप्पाडि हेरा सणसंठियाणे ॥ सहसणाणंदिय सज्जणाणं, नमो२ होउ सयाजिणाणं ॥ १॥ नमोनंत संत प्रमोद प्रदानं, प्रधानाय भव्यात्मने भास्वताय ॥ थया जेहना ध्यानथी सौख्यभाजा, सदा सिद्धचक्राय श्रीपालराजा ॥ २॥ कस्या कर्म दुर्मममें चकचूर जेणे, भला भव्य नवपद ध्यानेन तेणें ॥ करी पूजना
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