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पूजा - संग्रह ।
खादि अशुभ भागे, नियत शिव सर्व रहै तासु आगे ॥ ३ ॥ श्लोकः ॥ सकलमंगलकेलिनिकेतनं, परममंगलभावमयंजिनं । श्रयति भव्यजना इति दर्शयन, दधतु नाथपुरोक्षतस्वस्तिकं ॥ १ ॥ ॐ ह्रीं परमपरमात्मने० । चतं यजामहे स्वाहा ॥ ६ ॥ इति अक्षत पूजा ॥ अखण्ड चावल चढ़ावै ॥
अथ नैवेद्य पूजा ||
दोहा ॥ सरस सुचि पकवान बहु, शालि दालि घृतपूर | धरो नैवेद्य जिन आगले, क्षुधा दोष तसु दूर ॥ १ ॥ ढाल ॥ लपनश्री वर घेवर मधुतर मोतीचूर, सींहकेसरिया सेविया दालिया मोदकपूर । साकर द्राख सीङोड़ा भक्ति व्यञ्जन घृतसद्य, करो नैवेद्य जिन आगले जिम मिलै सुख अनवद्य ॥ २ ॥ चाल ॥ ढोवतां भोज्य पर भाव त्यागे, भविजना निज गुण भोज्य मांगे। म्हण म्हणो सरूप भोज्य, आपज्यो तातजी जगत पूज्य ॥ ३ ॥ श्लोकः ॥ सकलपुदुगलसंग विवज्र्ज्जनं, सहजचेतनभावविलासकं ।
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