________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५६६
पूजा-संग्रह। सकलमोहतमिश्रविनाशनं. परमशीलभावयुतं जिनं। विनयकुंकुमचंदनदर्शनैः, सहजतत्वविकाशकृतेचये ॥ १॥ ओं ह्रीं परमपरमात्मने अनन्तानन्तज्ञानशक्तये जन्मजरामृत्युनिवारणाय श्रीमज्जिनेद्राय चंदनं यजामहे स्वाहा २॥ इति चंदन पूजा यह कहकर केशर और चंदन चढ़ाना चाहिये।
नवअंगि भाव पूजा । दुहा ॥ पर उपगारी चरणयुग, अनंत शक्ति स्वयमेव । यातें प्रथम पूजिये, आतम अनुभव सेव ( चरणोंमें टीकी ) ॥ १॥ जानु पूजा दूसरी, समाधि भूमिका जान। आतम साधन ज्ञान ले, शुद्ध दशा पहिचान ॥ ( गोडोंको टीकी)॥२॥ कर पूजा जिन राजका, दिये सम्वच्छरी दान । ते कर मुझ मस्तक ठवं, पहुंच पद निर्वाण ॥ (हार्थोंमें टीकी)॥३॥ भुजबल शक्ति जानके, पूजा करं चित लाय। रागादिमल हटायके, आतम गुण दरशाय ॥
For Private And Personal Use Only