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પૂરક समाय-संग्रह । संभूम नाम आठमोचक्री,कम्में सायर नाख्यो॥ सोले सहस जक्ष उभा देखे, पिण किणही नहि राख्यो रे ॥ प्रा०॥ क०॥७॥ ब्रह्मदत्त नामे बारमो चक्री, कम्मे कीधो आधो ॥ इम जाणीने अहो भविप्रोणी, कर्म कोइ मत बांधो रे॥प्रा० क०॥८॥छपन्न कोड जादवरो साहिब, कृष्ण महाबल जांणी ॥ अटवी मांहि मंत्रो एकलडो, बिल २ करतो पाणी रे ॥ प्रा० ॥क०॥ ६॥ पांडव पांच महा झूझारा,हारी द्रोपदा नारी ॥ बारे बरस लग बन रडवडिया, भमिया जेम भिख्यारी रे॥प्रा० ॥ क० ॥१०॥ बीस भुजा दस मस्तक हंता, लखमान रावणमारयो ॥ एकलडै जग सहु नर जीत्या, ते पिण कर्मसं हास्यो रे ॥प्रा०॥ क०॥ ११॥ लखमण राम महा बलबंता, अरु सतवंती सीता ॥ कम्म प्रमाणे सुख दुख पांम्या, वीतक बहु तस वीता रे ॥प्रा०॥ क०॥ १२॥ समकितधारो श्रेणिक राजा, बेटे
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