________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५२६
सज्झाय-संग्रह। दाखियो ॥१२॥ सुख अभिलाषी हे अम्मा, झूठ न आखी मोरी अम्मा ॥ कायर मारग जननी दाखियो ॥१३॥ ए जग स्वारथी हे अम्मा, नही परमारथि मोरी अम्मा, वीर वखाण्यो परखदा सहु सुण्यो ॥१४॥ में इम जाण्यो हेअम्मा, वीर वखाण्यो मोरी अम्मा, ए धन जोवन आयु थिर नही॥१५॥ अनुमति दीजे हे अम्मा,ढील न किजै मोरी अम्मा, जो खिण जावे सु फिर आवे नही ॥ १६ ॥ अनुमति आपी हो अम्मा, जीव सुख पायो मोरी अम्मा, संजम लीधो रे मनमां गहगही ॥१७॥ छ8 २ पारणे हे अम्मा, विगय निवारण मोरी अम्मा, वीर वखाण्यो सुरनर
आगलै ॥ १८ ॥ सुख संजम पाले हे अम्मा, दूषण टाले मोरी अम्मा, अंग इग्यारे अरथ रू. डा भणे ॥१६॥ संजम पाल्यो हे अम्मा,नव पखवाडे मोरी अम्मा, मास संथारे सरवारथसिद्ध लह्यो ॥२०॥ इति धन्नाऋषि-सज्झाय संपूर्णम् ॥
For Private And Personal Use Only