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५१० सज्झाय-संग्रह। चोथमल्ल इम वीनवे हो ॥ भ० ॥ सुणजो बाल गोपाल ॥ हि० ॥११॥इति श्रीमांगलिक सरणां ॥
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सज्झाय-संग्रह ।
॥ उपदेशमाला पोसह सिज्झाय ॥ जग चूड़ामणिभूओ, उसभो वीरो तिलोय सिरि तिलो ॥ एगो लोगाइच्चो, एगो चक्खु तिहुअणस्स ॥१॥ संवच्छरमुसभ जिणो, छम्मासे वद्ध माण जिणचंदो॥ इइ विहरिया निरसणा, जए जए अोवमाणेणं ॥२॥जइता तिलोयनाहो. विसहई वहुचाई असरिसजणस्स ॥ इय जोयंतकराइं, एस खमा सब्दसाहणं ॥३॥ न चइ. जइ चालेउ, महइ महावद्धमाण जिणचंदो ॥ उवसग्ग सहस्सेहिं वि, मेरु जहा वायगं जाहिं ॥४॥ भदो विणीय विणो, पढम गणहरो समत्त सुयनाणी ॥ जाणतो वि तमत्त्थं, विम्हिय
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