________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अभय-रत्तसार ।
चौथी ढाल - आज निहेजो रे दीसे नाहलो - ए देशी ॥ विरहमान जिन वीसे वंदिये, महाविदेह विख्यात ॥ सीमंधर युगमंदिर श्रीसुबाहु सुजात ॥ वि०६ ॥ स्वयंप्रभु ऋषभानन अनंतवीरजी, सूरप्रभु तेम विशाल ॥ वज्रधर चंद्राननचंद्रबाहुजी, भुजंग ईश्वर नेमिभाल ॥ वि० ॥ ७ ॥ वैरसेन महाभद्र नमुं वली, देवयशा यशोरिद्ध अढीद्वीपमे विचरे आज ए, नाम लियां नवनिद्ध ॥ वि० ॥ ८
५०७
पांचमी ढाल -रे जीव जिन धर्म कीजिये --ए देशी ॥ च्यार तीर्थंकर सासता, इहिज अभिधान || झषभानन चंद्रानन, वारिषेण वर्द्धमांन ॥ च्यां० ॥ ६ ॥ ठ कोडो छप्पन्न लाख ए, सत्तारण हजार ॥ चउसे छयासी देहरां, त्रिह लोक मझार ॥ च्यार० ॥ १० ॥ नवसे पणवीस कोड़िया, बिंब त्रेपन लाख ॥ सहस अठावीस व्यारसे, अट्यासी भाख ॥ च्यार० ॥ ११ ॥ विभूजिंणवर नांम ए, समस्यासुखदाय ॥ प्रणम्यां पाप मिटेपरा, समकित शुद्ध थाय ॥ च्यार० ॥ १२ ॥
For Private And Personal Use Only