________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५०२ मुनि मालका। निध्ध वाधै रिद्ध समुद्ध ॥ महा० ॥ २२ ॥ जग संभूति विजय जयो, भद्रबाहु कृतभद्र, जग जोगीसर जागतो, मुनिवर श्रीथूलभद्र ॥ २३॥ म० भद्रबाहु स्वोमीतणा, च्यार शिष्य मुनिराय ॥ सीत परीषह जिणसह्या, सास्या२ आतम काज॥ म०॥ २४॥ अज्जमहागिरि जांणिये, अज्जसुहत्तिथ विशाल ॥ संप्रति नप पडिबोहियो, श्रीअयवंतोसुकमाल ॥ म० २५ ॥ आरिजसांमियसंसियो, अज्जसुभद्र मुनीस ॥अज्जमंगु महिमा निलो, सोहगिरी समुनीस ॥ म० ॥ २६ ॥ धनगिरि थिवर महामुनी, श्रीवयरस्वामी मुनिराय ॥ अरहदिण्ण मुनि अपहस्यो, भद्रगुपति निरमाय॥ म०॥२७॥ वयरसेन विद्यावरू, श्रीरक्षत गुरु दक्ष ॥ पुस मित्र गुण गहगह्यो, प्रभु दुरबलका पक्ष ॥ म०॥ २८॥ विंझ साधु सुविधइ भयो, श्रीठंडिल सुविहट्ट ॥ सूत्रअरथ रतने भयो, क्षमाश्रमण देवतु ॥ म० ॥ २६ ॥ पंचम काल म
For Private And Personal Use Only