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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६८ मुनि मालका । जिनमती बालक पुत्र मेहल थिवर आणंद रक्खियो, अणगार कासव धर्म भाख्यो सोधि सिवपुर सक्खि यो || कालासवेसी पुत्र आतम अरथ साधक उपसमइ, श्रीपुंडरीक महामुनीसर प्रणमिये शुभ संयमी ॥१२॥ चाल ॥ वंदु बलकलचीरो कंवली, श्री यमत्तो मुनिवर मन रली ॥ श्रीकरकंडू दुमह नमि निग्गया, निजर देसे नरवर श्रीजु ॥ उल्लालो ॥ श्रीजुवा ए वृषभादिता थया वड़ वइरागिया, संजम सिरि भज मोहनिद्रा तजिय जोगे जागिया || प्रत्येकबुद्धा च्यार सिद्धा सिद्ध थया एका समें, सुप्रसन्नचंद मुनिंद निरमम प्रेम प्रण ं प्रह समे ॥ १३ ॥ चाल ॥ खतै चुल्लकुमारसु ध्याइये, लोहच्चा मुनि चरणे लय लाइये ॥ काल उदाई प्रमुख महामुखी, संजम शुद्ध जयंती साहूणी ॥ उल्लालो ॥ साहूणी जाणी जगवखाणी, परमपद सुख पांमिया ॥ श्रीश्रमरणभद्र सुभद्र सुन्दर अचल आतमरामिया ॥ - For Private And Personal Use Only
SR No.020001
Book TitleAbhayratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherDanmal Shankardas Nahta
Publication Year1898
Total Pages788
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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