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अभय रत्तसार। .४८६ हेत ॥ज० ॥ १०॥ असें हथणापुर भलो जी, राजा सूर सुतात ॥ कुंथुनाथ जिन जनमियां जी, कंचन तनु श्रीमात ॥ जगतपति कुथु जिनेसर सार ॥ ११ ॥ छाग लंछन पेंतीसनो जी, धनुष देहनो मांन ॥ सहस पंच्याणव वरस नो जी, आयु प्रभुनो जान ॥ १२॥ ज० पेंतीस गणधर दीपताजी, साठ सहस मुनि जान ॥छसै साठ सहस वली जी,श्रमणी संख्या मान॥ज०॥ १३॥ सहस गुणियासी लक्षनी जी, श्रावक संख्या होय ॥ सहस इक्यासी तीन लाखनी जी, श्राविका संख्या जोय ॥ ज०॥ १४ ॥ सातसे साधू परवस्या जी, देवी बला गंधर्व ॥ कुंथुनाथ मुगते गया जो, मास संलेखण सर्व ॥ज०॥१५॥ .. ॥ दुहा ॥ श्रीअरिनाथ जिनंदनो, कहिस्यु अब अधिकार ॥ श्रोता सुणज्यो प्रेम धर, थास्यै लाभ अपार ॥१॥
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