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४८८ सम्मेत शिखरजीका रास । लक्ष मान ॥३॥ ज० ॥ च्यार सहसवलि ऊपरां जी, चौ लख एक हजार ॥ श्रावकणी संख्या कही जी, दस लक्ष आयु विचार ॥४॥ ज०॥ किन्नर सुर यत्ना सुरी जी, एक सहस परिवार । समेसिखर मुगते गया जी, वांदू वार हजार ॥ ५॥ ज० हथणापुर विश्वसेनना जी, अचिरा मात उदार ॥ शांति जिनेसर जनमिया जी, त्रिभुवन जयरकार ॥ जगतपति शांतिजिनेसर सार ॥६॥ मृग लांछन सोवन समोजी,देहो धनुष चालीस॥ आयु वरष इक लाखनो जी, छत्तीस गणधर सीस ॥ ज० ॥ ७ ॥ बासठ सहस मूनि छसै जी, इगसठ श्रमणी हजार ॥ दोय लाख श्रावक कह्या जी, ऊपर नेऊ हजार ॥ ८॥ सहस त्रयाणं श्राविका जी, तीन लाख परिवार ॥ गरुडयक्ष देवीसुरी जी, श्रीसंघ सानिधकार ॥ ज०॥ ६ ॥ नवस मुनि परवार स्यु जी, आया सिखरमेत ॥ मासखमण कर मुगतिमें जी, पुहता निजपद
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