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सम्मेत शिखरजीका रास ।
ति, श्रीकृतवर्म सुमात जी ॥ स्यामादेवी अंगज ऊपना, विमलनाथ जगतात जी ॥ न० ॥ ६ ॥ सूकर लंछन सोवनकाया, साठ धनुष देहीमांनजी || साठ लाख वच्छरनो आयु, शिष्य सतावन जान जी ॥ न० ॥७॥ साठ सहस मुनि अडसय इक लख, श्रमणी श्रावक जांण जी ॥ आठ सहस दोय लक्ष श्राविका, चौ लक्ष संख्या श्रागजीन ॥ ८ ॥ षण्मुख सुरवर विदिता देवी, प्रभुजी शिखरसमेत जी ॥ षट हजार साधू परिवारे, मुक्ति गए सुख हेत जी ॥ न०॥ ६ ॥ नगरी नाम अयोध्या नरवर, सिंहसेन जग सार जी ॥ सुजसा मात ति सुत जायो, प्रभुजी अनंतकुमार जी ॥ न० ॥ १०॥ लंछन श्येन सोवन सम काया, धनुष पच्चास प्रमांण जी ॥ तीस लाख बच्छरनो आयु, गणधर पचवीस आण जी ॥ न० ॥ ११ छोसठ सहस मुनीवर सोहे, बासठ श्रमणी हजार जी ॥ छ हज्जार लाख दोय श्रावक,
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