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अभय रत्नसार।
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परिवार ॥ मुक्तिगए प्रभु मासकी, संलेखन कर सार ।। १२॥
छट्टी ढाल-धन-धन संप्रति साचो राजा-ए देशी। सिंहपुरी नगरी तिहां राजा, विष्णु नरेसर तात जी, कंचनवरण श्रेयांस प्रभूजी, उपज्या विपण सुमातजी ॥ १॥ नमारे नमो श्रीत्रिभुवन राजा, खडग लंछन प्रभु पाय जी ॥ धनुष असी देहमांन चौरासी, लाख वरसनो आयु जा ॥२॥ न०॥ गणधर बहुत्तर सहस चौरासी, मुनि श्रमणी तान लक्ष जी॥ तीन सहस वलि सहस गुण्यासी, श्रावक पुण दो लक्ख जी ॥ ३ ॥न०॥ अड़तालीस सहस बलि चौ लख, श्राविका जाणो सारजी ॥ जक्ष अमर सूरी मानवी जाणा, श्रीसंघ सानिधकार जी ॥ ४ ॥ न०॥ सहस मुनीसरनै परिवार, प्रभुजी सिखरसमेतजी॥ मास संलेखण कर प्रभु पोहता, मुक्तिमहल सुख हत जी ॥ न० ॥ ५॥ हिव कंपिलपुर तात भूप
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