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सम्मेत शिखरजीका रास ।
सरीर मनोहर प्रभुनो जांण, लंछन अश्वतणो सोहे प्रभुनो परधान । साठ लाख पूरबनो प्रभुनो आयु प्रमाण, धनुष च्यारसे उच्च पणै प्रभु देह वखा ॥ २ ॥ एकसो दोय संख्याये प्रभुने गणधर होय, दोय लाख मुनि जेहनें गुणवरता जग जोय । तीन लाख श्रमणी वली ऊपर सइस छत्तीस, भूमंडल विचरे प्रभु श्रीसंभव जगदीस ||३|| तीन लाख वलि सहस त्रयाणं श्राचकलोक, पट लख सहस छत्तीस श्रावकरणी संख्या थोक | त्रिमुखयक्ष अरु दुरितादेवी सानिधकार, विचरता प्रभु सकल संघमें जय २ कार ॥ ४ ॥ सहस भ्रमण परिवारे प्रभुजी सिखरसमेत, एक मास संलेखण कीनी निजपद हेत । इण गिरि ऊपर पायो प्रभुजी पद निरखांण, तीरथ महिमा महियल मोटी थइय सुजांण ॥५॥ दुहा || अभिनंदन जिन वंदिये, पायो पद निरवांण । शिखरसमेत सोहामणो. भेटो तथ सुजाण ॥ १ ॥
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