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अभय-रत्नसार।
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तीसरी ढाल-सहस श्रमणमुं सुक संजमधरो-ए देशी ।
नगरी अयोध्या सुरपुरि सम भली, संबर राजा सोहे मन रली । सिद्धार्था राणी प्रभु तसु नंद ए, अभिनंदन जिन प्रगट्या चंद ए॥ उल्लालो ॥ चंद ए सोवन वरण सोहे, धनुष साढी तीनसे ॥ सुदर शरीर प्रमाण द्युतिकरी, कपि लंछन ते नित वसे। पूर्व लाख पचास आयु, ग
धर एकसो सोल ए॥ तीन लाख मुनि छ लाख आर्या सहस त्रिसत् सोल ए. ॥ १॥ चाल । सहस अव्यासी दो लख श्राद्धनी, संख्या चौलख सत्तावीसनी ॥श्रावकण्यांरी संख्या जाण ए. नायकयक्ष कलिका ठाण ए॥ उल्लालो ॥ ठाण ए शिखरसमेत ऊपर मास एक संलेषणा, इक सहस साधू परवस्या प्रभु मुक्ति पहुंचे पेषणा ॥ इमही अयोध्या मेघ नरवर देवो मात सुमंगला, श्रीसुमति जिनवर भए नंदन सदा होत सुमंगला ॥ २॥चाल ॥ सोवन वर्ण धनुष
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