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श्रीशत्रु' जयका रास ।
अवतार ॥१॥ से० छह री पालतां चालिये ए सेत्र 'जा केरी वाट ॥ से० ॥ पालीताणे पोहचिये ए, सङ्घ मिल्या बहु थाट ॥ से० ॥ २ ॥ ललित सरोवर पेखिये ए, बलि सत्तानी वावि ॥ तिहां विसरांमो लीजिये ए, वड़ने चोंतरे आवि ॥ ३॥ से। पालीताणे पाजड़ी ए, चढिये ऊठ परभात ॥ से 'जानदिय सोहामणी ए, दूरथको देखन्त ॥ से० ॥ ४ ॥ चढिये विङ्गलाजने हडे ए, कलिकुड़ नमिये पास || बारीमांहे पैसीये ए, आणी अङ्ग उल्लास ॥ से० ॥ ५ ॥ मरुदेवी क मनोहरू ए, गज चढी मरुदेवी माय || शान्तिनाथ जि सोलमो ए, प्रणमीजे तसु पाय ॥ से० ॥ ६॥ वंस पोरवाडे परगड़ो ए, सोमजी साह मलार ॥ रूपजी संघवी करावियो ए, चौमुख मूल उद्धार ॥ से० ॥ ७ ॥ चोमुख प्रतिमा चरचिये ए, भमतीमांहे भला बिंब ॥ पांचे पांडव पूजिये ए, अदभुत आदि प्रलंब ॥ ८ ॥ से० ॥ खरतरवसही
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