________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अभय रत्नसार। ४६७ ए पांचमो उद्धारो जी ॥ से०॥७॥ भुवनपती इंद्रनो कियो, ए छठो उद्धारो जी॥ चक्रवर्ति सगरतणो कियो, ए सातमो उद्धारो जी ॥ से०॥ ८॥ अभिनंदन पासे सुण्यो, शत्रुजयनो अधिकारोजी ॥ व्यंतरइद्र करावियो, ए आठमो उद्धारोजी ॥ से० ॥६॥ चंद्रप्रभु स्वामीनो पोतरो, चंदशेखर नाम मल्हारो जी॥ चंद्रयशरोय करावियो, ए नवमो उद्धारोजी ॥से०॥१०॥ शांतिनोथनी सुणो देशना, शांतिनाथसुत सुविचारो जी ॥चक्रधरराय करावियो, ए दशमो उद्धारो जी ॥से० ॥११॥ दशरथसुत जगदीपतो, मुनिसुव्रतस्वामी वारो जी॥ श्रीरामचंद्र करावियो, ए इग्यारमो उद्धारो जी।। से० ॥ १२ ॥ पांडव कहे अमे पापिया, किम छूटा मोरी मायो जी॥ कहे कुती शत्रु जयतणी, जात्रा कियां पाप जायो जी ॥ से० १३॥ पांच पाण्डव संघ करी, शत्रुजय भेट्यो अपारो जी, काष्ठ चैत्य बिंब लेपना, ए
For Private And Personal Use Only