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स्तवन-संग्रह। पूरावो, रयण सिंहासण बेसणो ए ॥ तिहां बेठो गुरू देशना देशी, भविक जीवना काज सरेसी, नित नित मंगल उदय करो ॥४७॥ इति श्रीगौतम स्वामीका रास संपूर्ण ॥
राग प्रभाती जे करे, प्रह ऊगमते सूर ॥ भूख्यां भोजन संपजे, कुरला करे कपूर ॥१॥ अंगूठे अमृत वसे, लब्धि तणा भंडार ॥ जे गुरु गौतम समरिये, मनबंछित दातार ॥ ३॥ पुडरीक गोयम पमुहा, गणधर गुण संपन्न ॥ प्रह ऊठोनें प्रणमता, चवदेसे बावन्न ॥३॥ खंतिखमंगुणकलियं, सुविणियं सव्वलद्धि संपण्णं ॥ वीरस्स पढम सीसं, गोयम सामी नमसामी ॥४॥ सर्वारिष्टप्रणाशाय, सर्वामिष्टार्थदायिने ॥ सर्वलब्धिनिधानाय, गौतमस्वामिने नमः ॥ ५ ॥ ॥ इति पदम् ॥
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