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स्तवन-संग्रह |
कौशल्या कुलचंद्रिका ए ॥ शीयल सलखी राम जनीता, पुण्यती प्रणालिका ए ॥ ७ ॥ कौशां बिक ठांमे शतानिक नांमे, राज्य करे रंग राजियो ए ॥ तस घर घरणी मृगावती नामे सुरभुवने जश गाजियो ए ॥ ८ ॥ सुलसा साची शील न काची, राची नही विषयारसें ए ॥ मुखड़ो जोतां पाप पुलाये, नाम लेतां मन उल्लसे ए ॥ ६ ॥ राम रघुवंशी जेहनी कामण, जनक सुता सीता सती ए ॥ जग सहू जांगे धीज करंता, अनल शीतल थयो शीलथी ए ॥ १० ॥ काचे तांतरण चालणी बांधी, कूवाथकी जल काढियो ए ॥ कलंक उतारवा सतिय सुभद्रा, चंपा बार उघाड़ियो ॥ ११ ॥ सुरनर वंदित शील अकंपित, शिवा शिवपद गांमनी ए ॥ जेहने नामे निरमल थइये, बलिहारी तसु नामनी ए ॥ १२॥ हस्तिनागपुर पांडवरायनी, कुंता नामे कामनी ए ॥ पांडव माता दशे दशारनी, बहिन पतिव्रता पढ़
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