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४१० स्तवन-संग्रह। ..... . ॥ दूसरा पद ॥
मनमोहन महाराज, तीन भुवन सिरताज ॥ आछेलाल, नगर ब्रहानपुर राजीया जी॥१॥ पास जिनंद प्रधान, निरमल सुगुण निधान ॥ आछेलाल, वामासुत वडभागीयाजी ॥ २ ॥ सेवकनी संभाल, करिय खरी ततकाल ॥ आछेलाल, संकट सहु प्रभु परिहया जी ।। ३ ॥ चिंता करी चकचूर, प्रगट्यो आनंद पूर ॥ आछेलाल, वाट विषमता पिण टली जी ॥ ४ ॥प्रभुजीने परसाद वीता सहु विखवाद ॥ आछेलाल, मन वंछित मुझ सहु फल्या जी ॥ ५ ॥ ध्यान समाधिनी थाप, मिलिया छो प्रभु आप ॥ आछेलाल, देज्यो दरिसण वलि सदा जी ॥ ६॥ अमृतधर्म सुजाण, शिष्य क्षमाकल्याण ॥आछेलाल, वाचक इम वीनती करै जी ॥७॥
॥तीसरा पद ॥ ___ जयकारी जिनराज, पुरिसादाणी रे॥ वामा
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