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स्तवन -संग्रह |
॥ सकल शास्वता चैत्य - नमस्कार - स्तवन ॥ ॥ ऋषभानन वर्द्धमान, चंद्रानन जिन, वारिण नांमे जियो ए ॥ १ ॥ तेह तणा प्रासाद, त्रिभुवन सासता, प्रणमुं बिंब सोहामा ए ॥ २ चेइहर सग कोडि, लाख बहुत्तर, चेंड्य प्रतिमा सो असी ए ॥ ३ ॥ तेरेसे निव्यासी कोडि, साठ लाख सुन्दर, भुवनपती मांहि मन वसी ए ॥ ४ ॥ बारे देवलोक प्रासाद, चौरासी लाख, सहस छिन्नू नें सात से ए ॥ ५ ॥
॥ ढाल ॥ २ ॥ आव्यो तिहां नरहर || ए चाल || हि नवग्रीवे पंचानुत्तर सार, चेईहर त्रण सय वीसा सुविचार || प्रत्येके प्रतिमा बीसासो तिहां जाण, अडत्रीस सहस सत साठ छे गुण खाण ॥ ६ ॥ नंदीसर बावन कुंडल रुचक बखाण चउ २ चेईहर साठ सबे त्रिहुं ठां ॥ इकसो चोवीस गुण प्रतिमा चिहु नाम, च्यारसे चालिसा सात सहस प्रणमाम ॥ ७ ॥ नंदोसर विदिस
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