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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८२ स्तवन-संग्रह। जा० ॥८॥ उगणिस कोड सोनइया, द्रव्य लागत करि जस लीया रे जा० ॥ करजोडीने आगे, मंत्री जिनवर पाय लागै, रे॥ जा० ॥ ६॥ पुछे चढिया हाथी, मंडाणा पति साह साथी रे ॥जा० इण देवल समवड़ कोई, भूमंडल मांहि न होई रे जा० ॥१०॥ वलि तिण वंस विगताला, वस्तुपाल अनै तेजपाला रे ॥ जा० ॥ देव नमी ऋद्धि पाई, इहां तियां पिण सफल कराई रे॥ जा०॥ ११॥ ते हवो जिणहर पास, वार कोडनी लागति भासै रे ॥ जा० ॥ देराणी जेठाणी, आलानी अजब कहाणी रे ॥ जा० १२॥ इहां देवल सोह वधारी, नेमनाथजी बाल ब्रह्मचारी रे ॥जा०॥कस वट पाहण करी, मूरत सुरमा रंग हेरी रे ॥ जा० ॥ १३ ॥ देवल वाडो दीठो, ते तो लागै नयणे मीठोरे ॥ जा० ॥ तिहां केइ देव ल पास, लोक जोवे घणो तमासै रे॥जा० १४॥ त्रिण गाउ आगल जाइय, देवल देखी सुख ल For Private And Personal Use Only
SR No.020001
Book TitleAbhayratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherDanmal Shankardas Nahta
Publication Year1898
Total Pages788
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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