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स्तवन- संग्रह |
टिगमिग चोवे जग सहू ए, रंगहि गुण गावै सुरबहू ए ॥ २७ ॥ बिहु सिर छत्र चमर विमल, बिहु पग तल नव सोवन कमल || बिहु जिनत विहार ए, नवि रोग न सोग न मारि ए ॥ ॥ २८ ॥ बिहु उवयार भुवन भरी ए, बिहु सिद्ध रमणसुं परवरी ए, बिहु भंजी भव फंद ए., बिहु उदयो परमाणंद ए ॥ २६ ॥ इम बीजो ने सोलमो ए, जांणे चिंतामण सुर तरु समो ए ॥ थुणि अति संझ विहारण ए, तिहां इह परभव नवि हां ए ॥ ३० ॥ बिहु उच्छव मंगल करण, बिहु संघ सयल दुरिय हरण || बिहु वर कमल नयण वयण, बिहु श्रीजिनराज भुवण रयण ॥ ३१ ॥ इम भगते भोलिमतणी ए, श्री जिय शांति जिण थुय भणि ए|| सरण बिहु जि पाय ए ॥ श्रीमेरुनंदन उवाय ए ॥ ३३ ॥
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