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स्तवन-संग्रह |
कुरंग ए ॥ तो उलग्यां ससि संक ए ॥ तिण पांम्यो नाम कलंक ए || १४|| इस पर मृग अति खलभल्यो ए, भय भंजण सांमि सांभल्यो ए ॥
दियो मन आपणो ए, पाय सेवे मिस लंछन तणो ए ।। १५ ।। लीला पति पर घणी ए, नव नविय कुमर रायां तरणी ए ॥ बल छल वै या जोगवे ए, पीय राज भली पर भोगवे ए ॥ १६ ॥ कुमर तों मंडल समें ए, पंचास सहस वरसां गमे ए ॥ तो तेजै दियर जिसो ए, ऊपन्नो चक्करयण तिसो ए ॥ १७ ॥ साधी भरह छखंड ए, वरतावी आण अखंड ए ॥ चवद रयण नव निहि सही ए, वसु सोल सहस जक्ख ही ए ॥ १८ ॥ सहस बहुत्तर पुर वरा ए, बत्तीस मौडबद्ध नरवरा ए ॥ पायक गांमँ कोड ए, छिन्न वे नमें वे कर जोड ए ॥ १६ ॥ हय गय रहवर जुजुवा ए, लख चौरासी मंदिर हुआ ए ॥ लाख त्रि वाजित्र घमघमें ए, बत्तीस सहस नाटिक रमें
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