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स्तवन- संग्रह |
नाण जोग तिम वलि उपयोग, उपपात वलि चवण ठिई पज्जत्ति प्रयोग ॥ १ ॥ केदिसिनो आ हार सन्नि गई आगयवेय, दार गाहा दुगनो ए अरथ को संक्षेव ॥ हिव तेवीस दारनो रहिस समय अनुसार, अलप रुची हुं तेहथी कहिसुं अलप विचार ॥ २॥
॥ ढाल ॥ २ री ॥ देशी सूरती महीनानी ॥ ए देशी ॥ चौ गव्भय तिरि वाऊ कायें च्यार सरीर. मनुष्य से पांच दंडक इगवीस रह्या ति सरीर ॥ थावर व्यारनें जघन्य उक्कोसे देह प्रमाण, भाग असंख्यात इग अंगुलनो परिमाण ॥ १ ॥ सरवनो जघन्य स्वभावक अंगुल भाग संख्यात, उक्कोसे पण धनु सागरने विज्ञात ॥ सुरनो सात हाथ गव्भय तिरि वणस्य काय, जोयण
सहस साधक इक सहस अनुक्रम थाय ॥ २ ॥ नर तेइ दि तिगाउ बेइदी जोयण बार, एग जो यण चउरेंद्री देह उंचे आकार ॥ आरंभ कालै
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