________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अभय रत्नसार। ३३५ वैक्रिय देहनो ए परिमाण, भाग एक इग आंगुलनो संख्यातम जाण ॥ ३॥ सुर नरनें साधिक इक लाख जोयण इक लाख, नवस जोयण तिरयंचने ए सूत्र साख ॥ साभावकथा दुगणो नारक वैक्रिय काय, एक महरत नारय नर तिरि च्यार कहाय ॥ ४ ॥ सुरने पक्ष एक उकोसविउव्वण काल, विगल संघयणी थावर सुर नारकनी माल !! गब्भय तिर तिरने षड़ विगलने छेवठ एक, सरव जीवनें च्यार दसेसण्णाये लेष ॥ ५ ॥ नर तिरने षड़ सुरने समचौरंस संठाण, हुंडग इग नारग विगलेंद्री सूत्र प्रमाण, नाणाविह धय सूई मरूरनो चंद्र आकार, वणसइ वाऊ तेऊभू वुदवुद अप्पाकार ॥ ६॥ सहूने च्यार कसाय गब्भय षड़ नर तिरि दोय वेमाणिय नागर तेउ वाउ विगल त्रिक होय | जोयसि तेऊ लेसा सेस रह्याने च्यार, दार इंद्रियनो सुगम तेहनो स्युं विसतार ॥ ७॥ समुदघात सग नरने पण
For Private And Personal Use Only