________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
स्तवन-संग्रह।
तिम अहक्खाय चरित्त सरब जिय लोग प्रसिद्ध, जेह सुविधि आचरण के जिय पांम्या सिद्ध ॥ बारें विध निज र तत्व बंधना च्यार प्रकार, प्रकृति ठिई अनुभाग प्रदेश भेदें निरधार ॥ २०॥ अणसण उणोदर वृत्ति संखप रसनो त्याग, का य कलेस सल्लीनता बाहिर तप षड़ भाग ॥ पाय च्छित विनय वेयावच्च तेम सिज्झाय, ध्यान काउसग अभ्यंतर तप षड़ विध थाय ॥ २१॥प्र. कृति सुभाव काल अवधारण थित निरवंच, अनु भागै रस तेम प्रसेदे दलनो संच ॥ पट प्रतिहार धार तरवार मद्य वलि तेम, निगड चित्र कर कंभकार भंडारी जेम ॥२२॥ अनुक्रम आठ नामना भाष्या जे जे भाव; तिम ज्ञानावरणादिक अड़ना एह सभाव ॥ इम संसेपे विवरण कोना आधे तत, प्रस्तावै पांम्यो वरण वस्युं हिव मोख तत्त ॥ २३ ॥ संत पदै परूपण द्रव्य ने क्षेत्र प्रमाण, फरसन काल पांचमो छठो अंतर जाण ॥
For Private And Personal Use Only