________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३२६
स्तवन- संग्रह |
चौवह विह छविह जीव कहाय, चेतन त्रस थावर वेदै गई करणे काय ॥ एगेंदी सुखम बा - दर ए दोय जिय ठाण, सन्नि सन्नी परिणदी बीति चोरिंद्री आण ॥ २ ॥ ए सग पज्झत्ता - पजता चवदै होय, अनुक्रम जीव ठाण ए सूत्र प्ररूपा सोय ॥ नाग दंसण चारित वीरज तप तिम उपयोग, ए षड लक्षण लक्षित जीव द्रव्य इह लोग ॥ ३ ॥ इग आहार सरीर इंदिय पजत्ती तीन, सासोसास भाषा मन षड ए अनुक्रम लीन ॥ च्यार एगेंदी पंच पजती विगलें जोय ॥ पंच सन्नि सन्नितें पड पज्झत्ती होय ॥ ४ ॥ इन्द्रिय पांच उसास आऊ बल ए दस प्रारण, च्यार छ सात आठ एगिंदी विगलें जाण,
सन्नि सन्नि पंचेंद्री नें नव दस क्रम थाय, प्रा साथी जेवि प्रयोग जिय मरण कहाय ॥ ५ ॥ धम्माधम्म आगास तीनंना त्रिण २ भेद, काल दसम इग आगास पुग्गल च्यार विच्छेद ॥ खंधा
For Private And Personal Use Only