________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
.
..M.Phiva
अभय रत्तसार। ३१३ ते होय रे ॥ २४ ॥ प्रा०॥ आंच मोर वसंतमां जी, डाले केइ लाख ॥ खस्या केइ खांखटी जी, केइ आंबा केइ साख रे ॥ प्रा०॥ २५ ॥ वाउल जिम भव तव्यता जी, जिण जिण दिसे उजाय, परवस मन मानसतणो जी, तृण जिम पूठे धाय रे॥ प्रा० ॥ २६ ॥ नियत वसै पिण चितव्यं जी,
आवी मिले ततकाल ॥ वरसां सोनु चितव्यो जी नियत कर विसराल रे ॥ प्रा० ॥ २७ ॥ आठमो चक्री सुभूमिते जी, समुद्र पडयो विकराल ॥ ब्रह्मदत्त चक्री तणांजी, नयण हरै गोवाल रे॥ प्रा० ॥ २८ ॥ कोकूहा कोयल करै जी, किम रा. खीस रे प्रांण ॥ आहेड़ी सर ताकियो जी, ऊपर भमें सीचाण रे ॥ प्रा० ॥ २६ ॥ आहेडी नागे डस्यो जो, बांण लग्यो सींचाण ॥ कोकहो ऊडी गयो जी, कोउ नियत परमाण रे॥ प्रा०॥ ३०॥ शस्त्र हण्या संग्राममां जी, रात पड्या जीवंत ॥ मंदिरमाहे मानवी जी, राख्याहो न रहंत रे॥ प्रा० ॥ ३१ ॥
३४
For Private And Personal Use Only