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स्तवन-संग्रह।
प्रह ऊठी ए पिण नमूए ॥ १०॥ तिहां पहिलो वासुदेव, नारकी सातमी, अगला पांच छठी गया ए॥ सातमो पंचमी नैर, चोथी आठमो, नवमो तीजी नारीया ए ॥ ११ ॥ अचल विजय ने भद्र, सुप्रभु सुदर्शन, आनंद नंदन शुभ मती ए॥ रामचंद्र बलभद्र, बलदेव ए नव, आठथया तिहां सिव गती ए ॥ १२॥ बलभद्र ब्रह्म देवलोक, काल उसप्पणी, जास्यै सिव कृष्ण सासने ए॥ अथवा विपुलाक नाम, तीर्थकर होस्ये, चवदमो इम बहुश्रुत भणे ए ॥ १३॥ ॥ ढाल ४ ॥ कुमरपणे प्रमु रहतां काल सुखै गमेए ॥ ए. देशी ॥
अस्वग्रीव ने तारक मेरुकवलि मधु तिसाए, निशंभ वलय प्रहलाद, रावण जरासिंधु जिसा ए॥ ए नव प्रतिवासुदेव नरक गति गामिया ए, ते पिण भावि जिनेस केई प्रणमुं मुदा ए ॥१४॥
॥ढाल ५ ॥ सफल संसारनी ॥ ए देशी ॥ शाति ने कुंथु अरि एह भव एकही, चक्रधर
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