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अभय रत्नसार ।
॥ ढाल दूसरी ॥ प्रथम सुपन गज निरख्यो एदेशी ॥ प्रथम भरत नरइद, बीजो सगर सुरिंद, मघवा तीजो उदार, चोथो सनतकुमार ॥ ४॥ पांचमो शांति चक्कीस छठा कुंथु गणीस ॥ सातमो अरि नरनाथ, आठमो संभूमि सनाथ ॥ ५ ॥ नवमो पदम नरेस, हरिषेण दसमो कहेस इग्यारम जयनांम, बारस ब्रह्मदत्त नांम ॥ ६ ॥ एह चक्कीसर बार, क्षेत्र भरत सिणगार ॥ मघवा सनतकुमार, पोहता सरग मझार ॥ ७ ॥ सभूम अने ब्रह्मदत्त, सत्तम नयर निरत्त । आठ थया सिवगामी, ते प्रणमुळे सिरनांमी ॥ ८ ॥
|| ढाल तीसरी ॥ मुनिवर आर्य सुहस्ति ॥ एदेशी || पहिलो त्रिपृष्टि जांण, द्विपृष्ट दूसरो, तीजो स्वयंप्रभु जाणिये ए ॥ पुरुषोत्तम ए चोथो, पंचम परगडो, पुरुषसिंह परमाणिये ए ॥ ६ ॥ छठो पुरुष पुंडरीक, दत्त तिम सातमो, लक्ष्मण नांमे आठमो ए ॥ नवमो कृष्ण नरेस, ए नव केसवा,
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