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अभय रत्तसार।
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साठ वरीस, वरस अनंत तणो लख तीस॥ लाख वरस दस धरम दिणंद, लाख वरस श्री शांतिजिणंद ॥६॥ वरस सहस थिति पच्याणवै,
श्री कंथुनाथ तणी संभवै ॥ सहस चोरासी अर जिनतणी, मल्लि सहस पचावन भणी ॥७॥ वरस संपूरण त्रीस हजार, मनिसुव्रत परमाउ उदार। वीस सहस नमिजिन थित भणी, वरस सहस नेमीसरतणी।। पास वरस एक सो सुखकंद, वरस बहुत्तर वीरजिणंद ॥ ऋषभतणा तेरे अवतार, सात चंद्र शंतीसर बार ॥ ६ ॥ सुव्रत भव नव नव नेमीस, पाश्व वीर दस सत्तावीस ॥ त्रिहुं २ भव सतरे जगदीस, सगला भव एकसोअड़तीस ॥ १० ॥ सिद्ध लही सहुने धन धन्न, गणधर चवदेस बावन्न ॥ सहुनें मुनि लख अठावीस, सहस ऊपरै अडतालीस ॥ ११॥ लाख चमाल छ याल हजार, षडधिक सहु साधवी सो च्यार ॥ श्रावक लाख पचावन धुरै, अड़तालीस सहस
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