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स्तवन-संग्रह। स ॥ तां घर ऋद्धि सिद्धि उछ रंग, रंग विनय प्रणमें मुनि रंग ॥१३॥ ॥ चौवीस तीर्थंकरोंके आयुष्य-प्रमाणका स्तवन ॥
ऋषभदेव प्रणमुजिनराय, लाख चौरासी पूरब आय ॥ बीजो अजित जसु सूत्रै साख, आउ बहुत्तर पूरब लाख ॥ १॥ तीर्थकर संभव तीसरो, आउ लाख पूरव साठरो अभिनन्दन पूरे मन आस, आउ लाख पूरव पच्चास ॥२॥ सुमतिनाथ पंचम जगदीस, आउ लाख पूरब चालीस ॥ श्री पदमप्रभूनी ए थितजांण, लाख तीस पूरब परिमाण ॥३॥ श्री सुपाश्व लोख पूरब वीस, दस लख पूरव चंदप्रभु ईस ॥ सुविधिनाथ लख पूरव दोय, इक लख पूरव शीतल थित होय ॥ ४ ॥ आयु वरस चोरासी लाख,श्री श्रेयांस तणी श्रुत साख । लाख बहुत्तर वरसांतणो, वासुपूज्य परमायुष गिणों ॥५॥ विमल आयु लख
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