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स्तवन-संग्रह। धन धरणो ॥६॥ वैसे पग ऊपर पग चढियां, थापै छाणा छडै ढुंढणियां ॥ सूकवै कप्पड पप्पड वडियां, नासीय छिपै नप भय पडियां ॥७॥ शोके रोवै विकथा ज कहै, इहां संख्या वैतालीस लहै। हथियार घडेने पश्रु बांधै, तापै नांणो परखै रांधै ॥८॥ भांजी निस्सही जिनगृह पेसे, धरै छत्र ने मंडपमें वेसै ॥ पहिरै वस्त्र अनें पनही, चामर वींझे मन ठांम नही ॥६॥ तनु तैल सचित्त फल फूल लियै, भूषण तज आप कुरूप थियै ॥ दरस
थी सिर अंजली न धरै, इगसाडै उत्तरासंग न करै ॥ ११ ॥ छोगो सिरपंच मोड जोडै, दडिये रमने वेसे होडै ॥ सयणासुं जुहार करे मुजरो, करे भंड चेष्टा कहै वचन बुरौ ॥ १०॥ धरे धरणो झगडे उल्लंठी, सिर गंथै बांधे पालंठी ॥ पसारे पग पहरे चावडियां, पग झटक दिरावै दुखड़ियां ॥ १२॥ करदम लूहै मैथुन मडै, जू आवलि अँठ तिहां छंडै॥ उघाड़े गुढ करै वयदा,
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