________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
स्तवन-संग्रह
|| पञ्चतिर्थी का स्तवन ॥
सुगुण सनेही साजण श्रीसीमंधरस्वाम, अरज सुणो एक जगगुरु मुझ आशाविशराम ॥ पूरव विदेहे विजय भली पुष्कलावई नाम, जिहां विचरे जिनवर जी धन ते नयरी गाम ॥ १ ॥ धन ते लोक सुणे जे जोजन गामिनी वाण, धन ते महियल चरण धरे जिहां जिनवर भाग ॥ धन ते भविजन जे रहे प्रभु ताहरे परसंग, वदन कमल निरखी नित्य माणे उत्सव अंग ॥ २ ॥ सुगुरु मुखें प्रभु सुजस तुम्हीणो सांभल कान, मिलवाने उलसे मन माहरु धरु एक ध्यान ॥ भगति जुगति करवानी छे मुझ सघली जोड,
For Private And Personal Use Only