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स्तुति -संग्रह |
भ्यो, जिनेंद्र ! तव दर्शनात् ॥ ३ ॥
हत्था जेह सुलक्षणा, जे जिनवर पूजंत ॥ जे जिनवर पूज्या नहीं, ते परघर काम करंत १ वाडी चंपो मोगरो, सोवन कूपलियांह ॥ पास जिनेसर पूजसां, पांचू प्रांगलियांह ॥ १ ॥ जीवड़ा जिनवर पूजिये, पूजाना फल होय ॥ राजा नमे परजा नमे, आंण न लोपे कोय ॥ ३ ॥ फूला करे बागमें, बैठा श्रीजिनराज ॥ ज्यू तारामें चंद्रमा, त्यू सो महाराज ||४|| जगमें तीरथ दो वड़ा, सेत्रुंजो गिरनार ॥ उण गिरि ऋषभ समो सस्था, उण गिरि नेमकुमार ॥ ५॥ मोहनी मूरत पासकी, मो मन रही लोभाय ॥ ज्यू महदीके पातमें, लाली लखी न जाय ॥ ६ ॥ राजमती गिरवर चढ़ी, वंदन नेमकुमार ॥ स्वामी अजहु न वावडे, मो मन प्राण आधार ॥ ७ ॥ धन ते सांइ पंखियां, बसे जो गढ़ गिरनार ॥ चूच भरे फल फूलसु, चाढ़े नेमकुमार ॥ ८ ॥ श्रीकेशरि
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