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२५० स्तुति-संग्रह।
॥श्रोनेमिनाथजी की स्तुति ॥ प्रह सम प्रण, नेमिनाथ, जिनवर जयवंत ॥ यादवकुल अवतंस हंस, उत्तम गुणवंत ॥ समु. द्रविजय शिवा देवी जास, मति सहित उदार ॥ सुन्दर श्याम शरीर ज्योति, सोहे सुखकार ॥गढ गिरनारें जिण लह्य ए, अमृत पद अभिराम ॥ तास क्षमा कल्याण मुनि, निशिदिन नमत कल्याण ॥ ५॥
॥श्रीपार्श्वनाथजी की स्तुति ।। पुरसादाणी पास नाह, नमियें मन रंग ॥ नील वरण अश्वसेन नंद, निरमल निःशंक ॥ कामित पूरण कलप साख, वामासुत सार ॥ श्री गौडीपुर स्वामि नाम, जपियें निरधार ॥ त्रिभुबन पति त्रेवीशमो ए, अमृत सम जसु वाण ॥ ध्यान धरतां एह नु, प्रगटे परम कल्याण ॥ ६॥
.. ॥ श्रीमहावीर प्रभुकी स्तुति.॥ वर अगदाधार सार, शिव संपत्ति कारण ॥
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