________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२४२
स्तुति - संग्रह |
सिणगार | जिनशासनदेवी लब्धिरुची जयकार
॥ ४ ॥ इति ॥
L
॥ चतुर्दशी की स्तुतिः ॥
अविरल कमल गवल मुक्ता फल कुवलय कनक भासूरं । परिमल बहुल कमलदल कोमल पदतललुलितनरेश्वरं । त्रिभुवन भवन सुदीप्रदीपक मणिकलीका विमल केवलं । नवनव युगलजलधि परमित जिनवरनिकरं नामाम्यहं ॥१॥ व्यंतर नगर रुचिक वैमानिक कुल गिरि कुडसकुडले | तारक मेरुजलधि नंदीसर गिरि गजदंतसुमंडले || वक्षस्कार भवन वन जोत्तर कुरुवैताढ्य कुंजिगा । त्रिजगति जयति विदितशाश्वतजिनन तिततिरिहमोपारगा ॥ २॥ श्रुत रत्नेक जलधि मधु मधु मधुरिम रसभर गुरु सरोवरं । परमततिमिर किरणहरणोध्दुर दिन कर किरण सहोदरं ॥ गमनयहेतुभङ्गगंभीरिमगणधरदेव गोष्पदं । जिनवर वचन मवनिमवतात् सुचिदि
For Private And Personal Use Only
-