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___ स्तुति-संग्रह। निरमल पांचम तपना धारक तेहभणी सुविचार। श्रीसिद्धायिकादेवी अहनिशि आपो सुक्ख अमंद। श्रीजिनलाभ सुरिद पसाये कहे. जिनचंद मुणिंद ॥ ४॥
॥ श्रीमौन एकादशी की स्तति ॥
अरनाथ जिनेश्वर दीक्षा नमिजिन ज्ञान । श्रीमल्लि जनम व्रत केवलज्ञान प्रधान । इग्यारस मिगसर सुदि उत्तम अवधार। ए पंचकल्याणक समरीजे जयकार ॥ १॥ इग्यारे अनुपम एक अधिक गुण धार। इग्यारे बारे प्रतिमा देसक धार । इग्यारे दुगुणा दोय अधिक जिनराय । मन सूधे सेव्यां सब संकट मिट जाय । २ ॥ जिहां वरस इग्यारे की व्रत उपवास । वलि गुणनो गुणिय विधिसेती सुविलास। जिन आगमवाणी जाणी जगत प्रधान । इक चित्त आराधों साधो सिद्ध विधान ॥३॥ सुर असुर भुवण वरण सम्यग दरसणवंत । जिनचंद्र
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