________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अभय रत्नसार ।
२३६
जामनी जग जस ज्योति सवाईजी । सांनिधकारी संघने होयज्यो श्रीजिनहर्ष सहाईजी ॥४॥ ॥ श्रीज्ञानपंचमी की स्तुति ॥
॥ पंच अनंत महंत गुणाकर पंचम गति दातार । उत्तम पंचम तपविधि वायक ज्ञायक भाव अपार | श्रीपंचानन लांछन लांछित वंछित दान सुदन | श्रीवर्द्धमान जिनंदसु वंदो ध्यावो भविजन पक्ष ॥ १ ॥ पूरण पंच महाश्रव रोधक बोधक भव्य उदार । पंच अनुव्रत पंच महाव्रत विधि विस्तारक सार । जे पंचेंद्रिय दम सिव पहुता ते सगला जिनराय । पांचम तप धर भविया उपर सुथिर करी सुपसाय ॥ २ ॥ पंचाचार धुरंधर जुगवर पंचम गणधर जाण । पंच ज्ञान विचार विराजित भाजत मद पंच वाण । पंचम काल तिमरभरमांहे दीपकसम सोभंत । पांचम तपफल मूल प्रकासक ध्यावो जिनसिद्धंत ॥ ३ ॥ पंच परम पुरुषोत्तम सेवाकारक जे नरनार ।
For Private And Personal Use Only