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स्तुति-संग्रह
अढी गाउ उंचो पिहुलो जोया पार ॥ विच कनकसिंहासन पदमासन सुखकार । श्रीतीरथनायक बैसे चोमुखधार ॥ १ ॥ तीन छत्र सिरोवर चामर ढोले इंद | देवदु दुभि वाजे भांजे कुमति फंद ॥ भामंडल पूठे ऊलके जांग दिनंद | तिहुण जन भवि मन मोहे सयल जिनंद ||२|| द्रव्यभाव सुठवरणा नाम निक्षेपा च्यार । जिए गणहर भाख्या सूत्र सिद्धांत मकार ॥ जिनवरनी पडिमा जिन सरखी सुखकार । शुभ भावे वंदो पूजो जग जयकार ॥ ३ ॥ दुख हरणी मंगल करणी जिनवर वाणी । भवच्छेद कृपाणी मीठो अमिय समाणी ॥ मन शुद्धे आणी प्रतिबूको भवि प्राणी | सुयदेवि पसायें पामे जयति सुनारणी ॥ ४ ॥ इति ॥
॥ श्री चैत्री पूणिमाकी स्तुति ॥ ॥ सेागिरि नमिये ऋषभदेव पुंडरीक । शुभ तपनी महिमा सुरण गुरुमुख निरभीक | शुद्ध
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