________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२१६
अभय - रत्नसार ।
अगर शुभ समता रस धामी जी । श्रीसिद्धचक्र शिरोमणि जिनवर घ्यावे जे मन रङ्ग े जी, ते मानव श्रीपालतणी परें पामे सुख सुर सङ्ग े जी ॥ १ ॥ अरिहन्त सिद्ध आचारिज पाठक, साधु महा गुणवन्ता जी ॥ दरिसण नाण चरण तप उत्तम, नवपद जग जयवन्ता जी ॥ एहनुं ध्यान धरन्तां लहियें, अविचल पद अविनाशी जी, ते सघला जिननायक नमियें, जिणें ए नीति प्रकाशी जो ॥ २ ॥ श्रसूमास मनोहर तिम वलि, चैत्रक मास जगीरों जी ॥ उजवाली सातमथी करियें, नव आंबिल नव दिवसें जी ॥ तेर सहस वलि गुणिये गुणणं, नवपद केरो सारो जी ॥ इण परि निर्मल तप आदरियें, आगम साख उदारो जी ॥ ३ ॥ त्रिमल कमलदल लोयण सुन्दर, श्रीचक्केसरि देवी जी ॥ नवपद सेवक भविजन केi, विघ्न हरो सुर सेवी जी ॥ श्रीखरतर गच्छ नायक सद्गुरु, श्रीजिन भक्ति
For Private And Personal Use Only