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स्तुति संग्रह |
२१५
झझझरण रण रण, निजकि निजजन, सज्जना, कलयन्ति कमला, कलितकलमल मुकल मीश महेजिनाः ॥ २ ॥ ठकि ट्रॅकि ट्रेंद्र ठर्हिक ठहिक ठहिक ठहिपट्टा ताड्यते, तललोंकि लोंलों, ऋषि षिनि, षि षिनि वाद्यते । उ उ कि उ उ, थुंगि थुंगिनि, धोंगिधोंगिनि कलरवे । जिनमतमनंतं महिम तनुतां नमति सुरनर मुत्तमम् ॥ ३ ॥ पुंदांकि षंदां पुपुदि षंढां षुषुदि दोंदों अम्बरे । चाचपट चचपट रuकि गोंडण डें डें, डंम्बरे || तिहां सरगमपधुनि निधपमगरस सस ससस सुर सेवता, जिननाट्यरङ्ग कुशल - मुनि शं दिशतु शासन देवता ॥ ४ ॥ ॥ बिलकी स्तुति ॥
|| निरुपम सुखदायक जगनायक लायक शिवगति गामी जी, करुणासागर निजगुण
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