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अभय रत्तसारः ।
तणी कोल नोला तणी, खान सीयाल विकराल दंते ॥ ५३ ॥ ( उं० ) धरणेंद्र पद्मावती समर सोभावती, वाटाघाट अटवी अटतै । लखमी लोढुं मिलें सुजस वेला उलै, सयल आस्या फलै मन हसंते ( उं० ) ॥ ५४ ॥ अष्ट महाभय हरें कानपीड़ा टलै, ऊतर सूल सीसग भणते । वदत वर प्रीतसुं प्रीतिविमल प्रभू, श्री पास जिण नाम अभिराम मन्तै ( उंजितु ) ॥ ५५ ॥ इति श्रीगोडी पार्श्वनाथजी वृद्ध स्तवनं समाप्तम्
॥ श्री गौतम स्वामिजी का रास ॥
|| वीर जिणेसर चरण कमल, कमला कय वासो; पणमिवि पभणिसु सामोसाल, गोयम गुरु रासो । मण तणु वयण एकंत करिवि, निसुरहु भो भविया, जिम निवसे तुम देह गेह गुण गण गहगहिया ॥ १ ॥ जंबूदीव सिरि
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