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अभय रत्नसार ।
उग्गए सूरे, चउव्विपि आहारं असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अण्णत्थ० सह० पच्छ० दिसा० साहु • सव्व० निव्विगइयं पञ्चकखाइ, अण्णत्थ० सह० लेवा • गिहत्थ• उक्खित्त० पडुच्च० पारिडा० मह० सव्व० एकासणं पच्चक्खाइ, तिविहं पि आहार - असणं, खाइमं, साइमं, अण्णत्थ० सह० सागा० आउंटण० गुरु० पारिट्ठा० मह० सव्व देसाव० इत्यादि पूर्ववत् ॥ ७ ॥
८ --- चउनिहाहार- उपवास-पचक्खाण ।
सूरे उग्गए, अब्भत्तङ्कं पच्चक्खाइ । चउ व्विपि आहारं असणं, पाणं, खाइमं, साइमं; अण्णत्थ० सह० मह० सव्व० वोसिरइ ॥८॥
६- तिविहाहार- उपवास-पच्चक्खाण ।
सूरे उग्गए, अब्भत्तङ्कं पच्चक्खाइ | तिविहंपि आहारं असणं, खाइमं साइमं, अण्णत्थ० सह० पाणहार पोरिसिं, साडूढपोरिसिं, पुरिमडढं, अवढं वा पच्चक्खाइ अण्णत्थ० सह०
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