________________
143
14.]
Upanisads Ends.- fol. 29
सहनाववतु सहनौ भुनक्तु सहवीर्य करवावहै । तेजस्विनावधीतमस्त मा विद्विषावहै ।।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः॥ इति षष्टावलि ॥ इति कठोपनिषत्समाता ॥७॥७॥७॥
कठोपनिषद्
Kathopanisad
__487 (83). No. 213
1882-83. Size.- 98 in. by 5T in. Extent.- foll. 20 to 3; 15 lines to a page ; 35 letters to a line.
__487 (1)._ Isavasyopanisad. Description.- See No. -
- 1882-83. Begins.-- fol. 1b
ओं श्रीमविश्वाधिष्ठान परमहंस सद्गुरु रामचंद्राय नमः॥ ओं सहनाववत्विति शांतिः॥
देवाह वै भगवंतमब्रुवन्नधीहि भगवन् ब्रह्मविद्यां स प्रजापति
रब्रवीत् । etc. Ends.- fol. 3°
सर्वोपाधिविनिमुक्तं स्वात्मानं भावयेत्सुधीः । एवं यो वेद तत्वेन ब्रह्मभूयाय कल्पते ॥ सर्ववेदांतसिद्धांतसारं वच्मि यथार्थतः। स्वयं मृत्वा स्वयं भूत्वा स्वयमेवावशिष्यत इत्युपनिषत्
ओं श्रीमद्विश्वाधिष्ठानपरमहंस सद्गुरु रामचंद्रार्पणमस्तु । इति कठोपनिषत समाप्ता ।। श्री ॥ श्री ॥ ॥
कठोपनिषद
Kathopanigad with टिप्पणी
with Țippaņi
227 (3). No.214
1882-83. Size.- 131 in. by62 in. Extent.— foll. 3* to 85; 10 lines to a page; 45 letters to a line. ( text)
8-10, . ; 60-65,, , (com.)