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291, ) Hymnology : Svetambara works Author.- Not known. Subject.- A hymn in Gujarati. Begins.- fol. 390
चरम जिनपतिय बूझव्यौ इंद्रभुती।
अतिरभस गुमानी मोहमिथ्याभिमानि ॥ भवजलनिधि तान्यो इंद्रभुति समायो।
परम गुरु क्रयाथी मोक्षनी मार्ग पायो॥१॥ etc. Ends.- fol. 390
सरवरनरजोडी जे नमे हाथि जोडी।
परम विनय जोडी चितथी मान मोडी॥ घर गुण मणता धर्मदाने मरता।
जिम जननी प्रवेषी पूत्र खोले उपतां ॥४॥ मुरसदननिवासी चक्र मिथ्यातवासी।
लघु कुमर स्व. It ends thus,
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जिनम्नुति
Jinastuti (जिणह)
(Jinathui )
77 (10). No. 221
1880-81. Extent.- leaf 87* to leaf 89!. Description.- Complete so far as it goes ; 21 verses in all. For
additional details see Agamikavastuvicärasäraprakarana
(Vol. XVIII, pt. I, No. 133). Author - Alokacandra (1) Subject.- Is this a hymn of Lord Pariva! Begins - leaf 87 6011
संखक्खमालवा(बाणतउकरा । वकुंपसमजदी।
रोहिणि सरहिनिसंना पासजिगं सब्बया नमइ ॥१॥ etc. Ends.- leaf 89
साहत य(?प)णवमाई । मंतपरहिं उमसंया। हर अंतर रोगे जिणा असोगदप्पहुप्पणया ॥२१॥
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11 (3.L.P.