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596. 1
Begins. fol. 296° ॥ ६७ ॥
Ends. fol. 297b
भत्तिसरोवरु ऊलटिउ जागिय हियइ जगीस ।
हिव आणदिहि संवु (धु) णिसो (मो) विहरमाणजिण वीस ॥ १ 'जंबु'दीवि चत्तारि ज (जि)ण 'धाईय' संडिहिं मटु ।
' पुक्खर' द्दि (ही) त (व) हं अट्ठ इम वीस नमउं गयकट्ठ ॥ २ etc.
विंशतिविहरमाणजनस्तवन
(वीस - विहरमाणजिनस्तवन ) [ वीसी ]
No. 596 = 446 (c)
१ सीमंधरस्तवन
२ युगमंधरस्तवन
३ बाहुस्तवन
४ सुबाहुस्तवन
देहमाणि धणु पंच सय सवि जिण कंचणवच । च उतीसह अइसयसहिय वसहंकिय सिरिपुन ॥ २४ सुरतरुसुंदर इय धु (धु) णिय विहरमाणजिणसार । वस मेरुनंदणिहिं जिम महुमणि सुहफलकार ॥ २५ इति श्रीवीसविहरमाण (जिन) स्तवनं सर्वभासं ॥ छ ॥
Supplement
fol.
1a
foll. 14-15
16-2a
22-26
"9
,,
Vimśativiharamānajinastavana
( Visa-viharamāna
Size— 104 in. by 4g in.
Extent. - 54 folios; 16 lines to a page; 32 letters to a line. Description. Country paper thin and greyish; Jaina Devanagari characters; bold, clear and sufficiently big hand-writing; borders ruled in two lines in red ink; red chalk used as usual; condition good; complete ; ends on fol. 84. This Visī is a collection of 20 stavanas. Their correct names and 25
extents are as nnder :
५ सुजातस्तवन
६ स्वयंप्रमस्तवन
७ ऋषभाननस्तवन
८ अनंतबीर्यस्तवन
365
jinastavana ) [ Visi ]
1573 (1). 1891-95.
fol. 2b foll. 2"-3"
3-3b
3b-4
"
""
5
10
IS
20
30