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The Svetambara Narratives
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तत् शिष्य पुज ऋषि श्री ५ प्रेमचंदजी तत्शीष्य । राअचंदेन रूपीकृतं ॥ श्रीरस्तु ॥ कलाणमस्तु शुभं भवतु ॥ श्री ॥ श्री ॥ श्री
Then in a smaller hand we have:॥ अथः ॥ उषाणोः ॥
ढालवो ढी (ढीं' )कबो ने फोलवा उलाः पे (पहे) वो बा (वां) जणो ने 5 वालवो षो (खो) लोः
माथे करवला ने आण पाणी उजला लुगडा ने बेसवुं वाणी । रात अंधारी ने बलदीया काला वढकणी नारि ने भांगणे सा
वा ( वां) की पाघडी ने पगरषु (खु) काणु तिम ठाली ठकराइ ने बगलमा छा Reference.— Published by Bhimsi Manek. For extracts and additional Mss. see Jaina Gurjara Kavic ( Vol. II, pp. 404-466 and Vol. III, pt. 2, PP. 1354-1355 ).
1 नदी के तळावना सूका तळियामां पाणी माटे खोदेलो खाडो ; वडवो. 2 चोरणा ; इजार.
3 In several places there should be ' ळू' instead of 'लू'.
41 [J. L. P. J
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