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८४. गीता-मंथन । (किशोरलाल घ० मशरूवाला) गीता का सरल ___ सुबोध और सरस भावानुवाद । इसे पढ़कर अबोध पाठक भी गीता
के तत्व को आसानी से समझ सकते हैं। उपन्यासों की भाँति रोचक और सरल।
मूल्य १॥ ८५. (६) राजनीति प्रवेशिका । मशहूर अंग्रेज़ी राजनीति विद्वान्
हेरल्ड लास्की की Introduction to Politics का अनुवाद मूल्य ) ८६. (७)हमारे अधिकार और कर्तव्य। ( कृष्णचन्द्र विद्यालंकार )
इस पुस्तक में लेखक ने बड़ी सरल भाषा में बताया है कि नागरिकों के क्या अधिकार होते हैं और देश, समाज और राष्ट्र के प्रति हमारे क्या कर्तव्य हैं।
.. मूल्य ॥ ८७. गांधीवाद: समाजवाद । इसमें इन दोनों विचार-धाराओं के प्रधान
विचारकों, जैसे श्री किशोरलालभाई, डॉ. पट्टाभि, कृपालानीजी, हरिभाऊजी, सम्पूर्णानंदजी, जयप्रकाशनारायण, एम० एन० रॉय वरा ने अपने विचार बताये हैं। दोनों वादों का तुलनात्मक अध्ययन है ।
काका कालेलकर के समन्वयात्मक निबंध सहित- मूल्य 1) ८८. स्वदेशी और ग्रामोद्योग । इसमें महात्माजी के आजतक के इस
विषय के चुने हुए लेखों का संग्रह है। इसमें महात्माजी की स्वदेशी की नई व्याख्या पढ़िए।
मूल्य ।। ८६. (८) सुगम चिकित्सा। श्री चतुरसेन शास्त्री ने इसमें, सरल
भाषा में देहात के लोगों के लिए सफ़ाई और चिकित्सा सम्बन्धी बातें बड़ी सरलता से बताई हैं।
मूल्य । १०. (१०) पिता के पत्र पुत्री के नाम । पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने
इसमें अपनी पुत्री इन्दिरा के नाम पत्रों के रूप में दुनिया की शुरूआत; प्राणियों की उत्पत्ति; आदमी का बनना और सभ्यता का विकास;